Sep 14, 20233 min readTwo Poems of Bimlesh Tripathi: Translated by Kalpna Singh-Chitnisसाथ रहो सिर्फ तुम फूल की एक पंखुड़ी से बना सकता हूँ गुलदस्ता आकाश में एक तारा काफी है पूरी रात अंजोर के लिए एक बीज से पूरे खेत में उग...
May 25, 20223 min readDangai (Rioter) A Hindi Poem by Kalpana Singh दंगाई (हिंदी कविता) - कल्पना सिंह दंगाई दंगाई, दंगाई, दंगाई! कौन है यह दंगाई? कोई कहता है — उसके हाथ मे होता है लोटा और मुँह में पान।...
Jan 30, 20211 min readGandhi Ke Marnoprant, a Hindi Poem by Kalpana Singh गांधी, कोई उड़ा ले गया तुम्हारे शब्द, हे राम! कोई चुरा ले गया तुम्हारी बकरी
Jan 26, 20211 min readMera Desh: Hindi Poems by Kalpana Singhमेरा देश (१) मेरा देश एक जल गई रोटी किसने सेंकी? किसने फेंकी? (२) मेरा देश एक तराजू। जिसके हाथ भी आ जाता है डंडी मार के ले जाता है। (३)...
Jan 16, 20212 min readThree Poems of Vishnuchandra Sharma Translated by Kalpna Singh-ChitnisToday Where flowers could not grow I planted the rocks. Flowers are blooming from the rocks now. आज जहाँ फूल नहीं उग सके मैंने चट्टानें...
Jan 16, 20212 min readThe Slanderer - गाली देने वाला आदमी (कविता) - कल्पना सिंहGaali Dene Wala Aadmi - The Slanderer: A Poem by Kalpna Singh गाली देने वाला आदमी गाली देने वाला आदमी हर बात पर गाली देता है वह अच्छी बात...
Jan 16, 20212 min readFares Waived - किराया माफ़ (कविता) - कल्पना सिंहकिराया माफ़: एक कविता भारत के प्रवासी मज़दूरों के लिए - Kiraya Maaf: A Poem for the Migrant Workers किराया माफ़ सारी दुनिया थम जाती है जब...
Jan 16, 20211 min readIndentured: The Replaced Slaves - इतिहास और मज़दूर (कविता) - कल्पना सिंह इतिहास और मज़दूर मेरे प्रांत का मज़दूर, बेटे को कंधे पर बिठाए अपनी बची-खुची पूँजी लिए, पत्नी के साथ चला जा रहा है। वह चलता ही चला जा रहा...
Jan 10, 20212 min readHindi Literature Today: A Profound Initiative on World Hindi Day विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी भाषा के सम्मान में एक पहल ~कल्पना सिंह (Kalpna Singh-Chitnis) हिंदी एक सागर है जिसमें कई भारतीय भाषाएँ और...