May 28, 20223 min readTwo Poems of Kedarnath Singh Translated by Kalpna Singh-Chitnisकेदारनाथ सिंह की दो कविताएं। अनुवाद: कल्पना सिंह The Earth Shall Remain I’m sure the earth shall remain, if not elsewhere, it shall...
May 25, 20223 min readDangai (Rioter) A Hindi Poem by Kalpana Singh दंगाई (हिंदी कविता) - कल्पना सिंह दंगाई दंगाई, दंगाई, दंगाई! कौन है यह दंगाई? कोई कहता है — उसके हाथ मे होता है लोटा और मुँह में पान।...
Jan 30, 20211 min readGandhi Ke Marnoprant, a Hindi Poem by Kalpana Singh गांधी, कोई उड़ा ले गया तुम्हारे शब्द, हे राम! कोई चुरा ले गया तुम्हारी बकरी
Jan 26, 20211 min readMera Desh: Hindi Poems by Kalpana Singhमेरा देश (१) मेरा देश एक जल गई रोटी किसने सेंकी? किसने फेंकी? (२) मेरा देश एक तराजू। जिसके हाथ भी आ जाता है डंडी मार के ले जाता है। (३)...
Jan 16, 20212 min readThe Slanderer - गाली देने वाला आदमी (कविता) - कल्पना सिंहGaali Dene Wala Aadmi - The Slanderer: A Poem by Kalpna Singh गाली देने वाला आदमी गाली देने वाला आदमी हर बात पर गाली देता है वह अच्छी बात...
Jan 16, 20212 min readFares Waived - किराया माफ़ (कविता) - कल्पना सिंहकिराया माफ़: एक कविता भारत के प्रवासी मज़दूरों के लिए - Kiraya Maaf: A Poem for the Migrant Workers किराया माफ़ सारी दुनिया थम जाती है जब...
Jan 16, 20211 min readIndentured: The Replaced Slaves - इतिहास और मज़दूर (कविता) - कल्पना सिंह इतिहास और मज़दूर मेरे प्रांत का मज़दूर, बेटे को कंधे पर बिठाए अपनी बची-खुची पूँजी लिए, पत्नी के साथ चला जा रहा है। वह चलता ही चला जा रहा...