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Two Poems of Kedarnath Singh Translated by Kalpna Singh-Chitnis



 

केदारनाथ सिंह की दो कविताएं। अनुवाद: कल्पना सिंह The Earth Shall Remain

I’m sure the earth shall remain, if not elsewhere, it shall remain in my bones; as a woodlouse lives in the trunk of a tree, as a weevil lives in a seed, the earth shall remain in me even after doomsday; if not, elsewhere, in my mortality.

And one day, I shall rise with the entire earth, water and the tortoise, I shall rise and set out to meet someone I have promised to meet. यह पृथ्वी रहेगी मुझे विश्वास है

यह पृथ्वी रहेगी

यदि और कहीं नहीं तो मेरी हड्डियों में

यह रहेगी जैसे पेड़ के तने में

रहते हैं दीमक

जैसे दाने में रह लेता है घुन

यह रहेगी प्रलय के बाद भी मेरे अन्दर

यदि और कहीं नहीं तो मेरी ज़बान

और मेरी नश्वरता में

यह रहेगी


और एक सुबह मैं उठूंगा

मैं उठूंगा पृथ्वी-समेत

जल और कच्छप-समेत मैं उठूंगा

मैं उठूंगा और चल दूंगा उससे मिलने

जिससे वादा है

कि मिलूंगा।

Liberation

Able to find no path of liberation I have sat down to write.

I want to write “Tree” knowing that the writing tree is becoming a tree. I want to write “Water,”

“Human,” I want to write “Human,” hand of a child, the face of a woman,

With all my vigor, I want to throw words toward humans, knowing, that they will do nothing to a human being. On a busy street, I want to hear that explosion which occurs, when the words and humans collide,

knowing nothing will happen from my efforts of writing, I want to write. मुक्ति मुक्ति का जब कोई रास्ता नहीं मिला

मैं लिखने बैठ गया हूँ


मैं लिखना चाहता हूँ 'पेड़'

यह जानते हुए कि लिखना पेड़ हो जाना है

मैं लिखना चाहता हूँ 'पानी'


'आदमी' 'आदमी' - मैं लिखना चाहता हूँ

एक बच्चे का हाथ

एक स्त्री का चेहरा

मैं पूरी ताकत के साथ

शब्दों को फेंकना चाहता हूँ आदमी की तरफ

यह जानते हुए कि आदमी का कुछ नहीं होगा

मैं भरी सड़क पर सुनना चाहता हूँ वह धमाका

जो शब्द और आदमी की टक्कर से पैदा होता है


यह जानते हुए कि लिखने से कुछ नहीं होगा

मैं लिखना चाहता हूँ। ~~~~~ First published in World Literature Today केदारनाथ सिंह - Kedarnath Singh was a Hindi poet, critic, and essayist. He received India’s highest literary honor, the Jananpith Award, and the Sahitya Academy Award. His anthologies include Srishti Par Pahra, Abhi Bilkul Abhi, Zameen Pak Rahi Hai, Yahan se Dekho, Akaal Mein Saaras, Baagh,Tolstoy aur Cycle and Matdaan Kendra Pe Jhapki. कल्पना सिंह - Kalpna Singh-Chitnis is a Pushcart nominated, award-winning Indian American poet, writer, and editor-in-Chief of Life and Legends and Hindi Literature Today. Her full-length poetry collection Bare Soul was awarded the 2017 Naji Naaman Literary Prize for Creativity. She has also authored three poetry collections in Hindi - "तफ़्तीश जारी है," "निशांत" and "चाँद का पैवंद." She won the prestigious "Bihar Rajbhasha Award" (1986-87) given by the government of Bihar, India, for her first poetry collection "Chand Ka Paivand" (Patch of Moon), and the title of 'Bihar Shri' (Jewel of Bihar) in 1988. In 2014, she was nominated for "Honor of Yeast Litteraire" by Levure litteraire magazine in Paris, France and received the "Rajiv Gandhi Global Excellence Award" in New Delhi for her contributions to literature and cinema. Kalpna's literary work has been widely published and translated into many languages. A former lecturer of Political Science, she studied "Buddhism Through Its Scripture" at HarvardX (Harvard University). She also holds a degree in Film Directing from NYFA and works as an independent filmmaker in Hollywood. Website – www.kalpnasinghchitnis.com कल्पना सिंह - Kalpna Singh (Kalpna Singh-Chitnis) - कल्पना सिंह के हिंदी काव्य-संग्रहों में बिहार राजभाषा परिषद से पुरस्कृत “चाँद का पैवंद”, “तफ़्तीश जारी है” और “निशांत” के नाम उल्लेखनीय हैं। कल्पना सिंह की कविताओं का प्रकाशन हंस, पहल, साक्षात्कार, वर्तमान साहित्य, दस्तावेज़, धर्मयुग, कादम्बिनी, बहुमत तथा विश्व की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं में हुआ है. इनकी रचनाओं का अनुवाद देश-विदेश की कई भाषाओं में किया गया है। बुद्ध की धरती गया में जन्मी कल्पना सिंह ने मगध विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एम. ए. की शिक्षा प्राप्त की, और कुछ समय के लिए गया कॉलेज, गया, में अध्यापन कार्य भी किया। १९९४ में अमेरिका आने के बाद इन्होंने “न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी” से फिल्म निर्देशन की शिक्षा हासिल की, और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (HarvardX) से, “Buddhism Through Its Scriptures” का भी अध्ययन किया। अंग्रेजी में कल्पना सिंह-चिटनिस के नाम से ख्यात इनके काव्य संग्रह “बेयर सोल” को २०१७ में लेबनान के “नाजी नामन लिटरेरी प्राइज फॉर क्रिएटिविटी” से सम्मानित किया गया। कल्पना सिंह अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक पत्रिका “लाइफ एंड लेजेंड्स” और "हिंदी लिटरेचर टुडे" की प्रवर्तिका तथा प्रमुख संपादिका हैं और वर्तमान समय में अपने हिंदी काव्य संग्रह "जो तुम हो वही हूँ मैं," अंग्रेजी काव्य संग्रह "ट्रेसपासिंग माई एंसेस्ट्रल लैंड्स" तथा केदारनाथ सिंह की कविताओं पर अनुवाद कार्य कर रही हैं। हॉलीवुड में फिल्म निर्देशिका के रूप में कार्यरत कल्पना सिंह बोधगया और लॉस एंजेलिस के बीच अपना समय बांटती हैं। संपर्क – hindiliteraturetoday(at)gmail (dot)com

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