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The Slanderer - गाली देने वाला आदमी (कविता) - कल्पना सिंह

Gaali Dene Wala Aadmi - The Slanderer: A Poem by Kalpna Singh





गाली देने वाला आदमी


गाली देने वाला आदमी हर बात पर गाली देता है

वह अच्छी बात पर भी गाली देता है

और बुरी बात पर भी गाली देता है।


पर ज्यादातर, वह बिना बात के गाली देता है।

गाली देना अच्छी बात नहीं है।

गाली देने वाला आदमी अज्ञानी होता है


हालांकि, वह अपने आप को

बड़ा ज्ञानी समझता है, और सोचता है,

गाली देकर वह एक नेक काम कर रहा है


दुनिया को सुधार रहा है,

वह दुनिया को सुधार सकता है।

पर दुनिया उसके हिसाब से सुधर नहीं रही।


इसलिए वह बच्चे, बूढ़े, जवान,

औरत, मर्द, हर इंसान को गाली देता है।

वह पक्षियों और जानवरों तक को नहीं छोड़ता।


वह मोर को हरामखोर कहकर कहकर बुलाता है

और सड़क पर सोए भूखे कुत्तों को

उनके पेट में लात मारकर हँसता है।


उनके बिलबिलाने और भौंकने पर

उनकी माँ-बहन को गाली देता है।

गाली देने वाला आदमी


खासकर औरतों को गाली देने

और उनसे खाने का

बड़ा शौकीन होता है।


वह धरती, दुर्गा, काली,

सब को गाली देता है।

वह सुबह होने पर सूरज को


सांझ ढलने पर चाँद सितारों को

और बारिश होने पर बादल को गाली देता है।

वह आसमान पर कीचड़ उछालता है


फूलों के खिलने पर भी

सिर्फ कांटे ही दिखाता है

और माली को गाली देता है।


वह सुगंध में दुर्गंध ढूँढता है

और दुर्गंध को

सुगन्धित बना कर पेश करता है।


गाली देने वाला आदमी जब

सड़कों पर चलता है,

लोग परे हट जाते हैं!


क्योंकि जो भी उसे टोकते हैं

उन्हें रोकने के लिए वह

उनपर बुलडोज़र चलवाता है


उन्हें धमकियां देता है,

उनके सपनों को चूर होता देख

वह मंद-मंद मुस्काता है।


गाली देना एक बुरी आदत ही नहीं एक नशा है

और बीमारी भी, सोहबत से लग जाती है

फिर कभी ठीक नहीं होती।


और गाली देने वाला आदमी ऐसे ही एक दिन

गाली देते देते मर जाता है।

और उसके अंतिम संस्कार के लिए


फिर दुनिया भर की संक्रमित आत्माएं आती हैं।

वे गाली देने वाले आदमी को मसीहा

और उसकी मृत्यु का जिम्मेदार


धरती, सूरज और माली को बताती हैं।

उनकी नज़र में गाली देने वाला आदमी

बिना न्याय पाए, इस दुनिया से चला जाता है।


वह बादल, फूल और खुशबू बन जाता है।

फिर उसकी जगह एक दिन

कोई और आता है।


- कल्पना सिंह © Kalpna Singh (Kalpna Singh-Chitnis)


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