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Two Hindi Poems of Agyeya Translated by Kalpna Singh-Chitnis


 

हिन्दी दिवस, (14 सितंबर, 2022) के अवसर पर

Our Blood


The blood of my brother

on this side is as red as

your sister's blood is on the other side.


The streams have merged on the ground,

But the land did not gain consciousness.

The soil didn't revive.


No sprout rose from the ground.

The earth does not take tainted offerings.

The venom of hatred has stripped,

the light of our blood, now sterile and infertile.

हमारा रक्त / अज्ञेय

यह इधर बहा मेरे भाई का रक्त

वह उधर रहा उतना ही लाल

तुम्हारी एक बहिन का रक्त!

बह गया, मिलीं दोनों धारा

जा कर मिट्टी में हुईं एक

पर धरा न चेती मिट्टी जागी नहीं

न अंकुर उस में फूटा।

यह दूषित दान नहीं लेती-

क्योंकि घृणा के तीखे विष से आज हो गया है

अशक्त निस्तेज और निर्वीर्य हमारा रक्त!



I the Prisoner

I, the prisoner,

sing the joyous song of freedom,

and my manacles whisper,

you are absolute and free.

Your bondage is only a symbol of

your people's freedom


And you,

restricted/self-willed

keep shouting

in anticipation,

keep him locked

or we all shall die.


मैं जो बंदी हूं /अज्ञेय


मैं, जो बंदी हूं

गाता हूं आनन्दित-मुक्तिगीत:

मेरी बेडि़यां फुसफुसाती रहती हैं-

"तुम समग्र हो,

तुम हो स्‍वतन्‍त्र"

तुम्‍हारे बन्‍धन हैं

केवल तुम्‍हारे बन्‍धुओं के

मुक्ति-प्रतीक !"


और...

तुम जो आबद्ध/स्‍वेच्‍छाचारी हो

चीखते रहो अनवरत आशंका में-

"हमें उसको बनाए रखना है

बंदी,

अन्‍यथा हम मर जाएंगे।"


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