Sep 14, 20233 min readTwo Poems of Hareprakash Upadhyay: Translated by Kalpna Singh-Chitnisचंद उलाहने (1) तटस्थता के पुल पर खड़ी होकर उसने मुझे एक दिन जाने किस नदी में ढकेल दिया कोई किनारा नहीं कोई नाव नहीं कोई तिनका नहीं बहता...